Monday, January 30, 2012

मेरी नाकाम हुई कोशिशो को सोचता हूँ

मुझ पर चलते दौरे -गर्दिशों को सोचता हूँ ||
उस सबब लगी खुद  पर बंदिशों   को सोचता हूँ ||
 

मजबूरी के सबब हुई न पूरी आज तक  जो ,
मैं दिल में दफ़न उन ख्वाहिशों को सोचता हूँ ||
 

तन्हा, यादों में जब  बैठता हूँ मैं कभी तो ,
उनके साथ  बिताई बारिशों को सोचता हूँ ||
 

सर्द हवाओं के मौसम में  ना जाने क्यों  मैं ,
हर बार तेरी साँसों की तपिशों को सोचता हूँ ||
 

इक छोटे -से झगडे से हुई गलतफहमी  से ,
आज हमारे दरमियाँ रन्जिशों को सोचता हूँ ||
 

अपनी जिंदगी में किसी की मुहब्बत पा सकने की ,
मेरी  नाकाम  हुई   कोशिशो  को  सोचता  हूँ ||

Monday, January 23, 2012

महफूज़ रखी है अपने पास हर शै उनकी


हो जाए है शरारत अक्सर जवानी  में |
आये है मोड़ ऐसा  हर जिन्दगानी में ||
 

किसको कह दे बुरा और किसे कहें अच्छा ,
कोई किरदार ना है अपनी कहानी में |
 

हम  कैसे कामयाब होते अपने मकसद में,
सबसे कमजोर जो थे हम  दिल-सितानी में |
 

आसान किस तरह कहें  सफरे-मुहब्बत को,
आयें लाखों  मुशिकलें इस की रवानी में |
 


महफूज़  रखी है अपने पास हर शै उनकी ,
जो दी थी उसने कभी उल्फत की निशानी में


Tuesday, January 17, 2012

बन कर गुल हम महकते रहे तमाम उम्र

अब्रे-नफरत हम पर बरसते रहे तमाम उम्र |
इक कतरा-ए-उंस को तरसते रहे तमाम उम्र ||
 

चाहे बन कर गुल हम महकते रहे तमाम उम्र |
पर उनकी जुल्फों को तरसते रहे तमाम उम्र||
 

वो ना आये फिर लौटकर आज तक जिंदगी में ,
हम तो उनका इंतज़ार करते रहे तमाम उम्र |
 

उनको भी तो आएगी उल्फ़त हम पर कभी तो ,
बस सोच कर यही हम संवरते रहे तमाम उम्र |
 

सुहबत तो अच्छी थी मगर जानते नहीं हैं हम ,
कैसे  कदम  हमारे  बहकते  रहे  तमाम  उम्र ||


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