Wednesday, February 15, 2012

जब हो गए हैं तेरे राजदां हम

मालूम न हुआ कब हुए जवां हम ||
पार कर गए बचपन की आस्तां हम ||


तब भी वालिदा को लगे तिफ्ल ही  ,
करके तरक्की छू लें आसमां हम ||
 

अब ना है कुछ छिपाने की जरूरत ,
जब हो गए हैं तेरे राजदां हम ||
 

उनसे दूर है तो क्या हुआ फिर ,
उनको आज भी भूले हैं
कहाँ हम ||
 

गुजरें है "नजील" उनकी गली से ,
अक्सर देकर इश्क का इम्तिहां हम ||

Tuesday, February 7, 2012

डूबा यादों का सफीना

डूबा यादों का सफीना माजी के बहर में ||
न मिला उसको ढूंढना चाहा हर इक लहर में ||
 

बोला न कोई मुहब्बत से ,हम से दोस्तों ,
हम अजनबी हुए हैं अपने ही शहर में ||
 

गर दे हैं वो ज़हर भी हमको अपने हाथ से ,
लगती है अज़ब  मिठास हमको उनके ज़हर में ||
 

खण्डहर हुए अरमान मेरे साथ वक्त के तो क्या ,
है इक रशिमे-नूर अरमानों के खण्डहर में ||
 

वो पूछें हैं हाल ,मगर बताएं कैसे उसे ,
कैसे महफूज़ रह सकते हैं ऐसे कहर में ||

Monday, January 30, 2012

मेरी नाकाम हुई कोशिशो को सोचता हूँ

मुझ पर चलते दौरे -गर्दिशों को सोचता हूँ ||
उस सबब लगी खुद  पर बंदिशों   को सोचता हूँ ||
 

मजबूरी के सबब हुई न पूरी आज तक  जो ,
मैं दिल में दफ़न उन ख्वाहिशों को सोचता हूँ ||
 

तन्हा, यादों में जब  बैठता हूँ मैं कभी तो ,
उनके साथ  बिताई बारिशों को सोचता हूँ ||
 

सर्द हवाओं के मौसम में  ना जाने क्यों  मैं ,
हर बार तेरी साँसों की तपिशों को सोचता हूँ ||
 

इक छोटे -से झगडे से हुई गलतफहमी  से ,
आज हमारे दरमियाँ रन्जिशों को सोचता हूँ ||
 

अपनी जिंदगी में किसी की मुहब्बत पा सकने की ,
मेरी  नाकाम  हुई   कोशिशो  को  सोचता  हूँ ||

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