जुदाई के नाम आँखे आई छलक उनकी ||
दर्द के अहसास से खुद-ब-खुद झुकी पलक उनकी ||
कभी हारेंगे नहीं हम अपने दुश्मन ज़हां से ,
निभाएगी साथ उल्फत जब तलक उनकी ||
खुदा जाने ,हाल होगा उनका भी अपने जैसा ,
जिस तरह हम तरसते हैं पाने को झलक उनकी ||
बहाएं अश्क शब् की तन्हाई में बैठ कर वो ,
सुनाए है दास्ताँ अक्सर हमको फलक उनकी ||
"नजील" अब्र भी शर्माए है देखकर ये नज़ारा ,
घटा बन के आसमां पे छाई जो अलक उनकी ||
दर्द के अहसास से खुद-ब-खुद झुकी पलक उनकी ||
कभी हारेंगे नहीं हम अपने दुश्मन ज़हां से ,
निभाएगी साथ उल्फत जब तलक उनकी ||
खुदा जाने ,हाल होगा उनका भी अपने जैसा ,
जिस तरह हम तरसते हैं पाने को झलक उनकी ||
बहाएं अश्क शब् की तन्हाई में बैठ कर वो ,
सुनाए है दास्ताँ अक्सर हमको फलक उनकी ||
"नजील" अब्र भी शर्माए है देखकर ये नज़ारा ,
घटा बन के आसमां पे छाई जो अलक उनकी ||
आपकी पोस्ट चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
http://charchamanch.blogspot.com
चर्चा मंच-805:चर्चाकार-दिलबाग विर्क>
....बहुत सुन्दर लिखा है आपने !!!
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