अब मांगे हैं वो दिल का आइना शक्ल के लिए |
हसरत-ए - वस्ल दिल में तो शायद कभी हमे,कोई वक़्त मिल जाएगा एजद-वस्ल के लिए|
मेरा कातिल कहाँ है ? कोई तो बताओ मुझे ,
मै हाज़िर हो गया उनके हाथों क़त्ल के लिए|
कुछ पाने के लिए खोना भी पड़ता है कुछ,
छोड़ दिया खुल्द आदम-हव्वा ने अज़ल के लिए |
दो अलफ़ाज़ लिखना भी मुश्किल हुआ है बज़्म में,
तन्हाई चाहिए मुझको मेरी ग़ज़ल के लिए|
कुछ पाने के लिए खोना भी पड़ता है कुछ,
ReplyDeleteछोड़ दिया खुल्द आदम-हव्वा ने अज़ल के लिए |
nice
thanks virk ji ...
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