मुद्दत हुई है हंसी को खोये हुए, बस आज मुस्कुराए हैं तेरे लिए.
जद्दोजहद में गुजरे है दिन और तेरे ख्यालों में रात गुजर जाए,
इन आँखों में हमने बहुत हसीं ख़्वाब सजाए हैं तेरे लिए ,
बहुत मुश्किल होता है बैठना यारों की महफ़िल में अब तो ,
जो बातों- बातों में हर पल हमको सताए हैं तेरे लिए .
जुर्रत कहा थी किसी की जो बात करे आँख मिला के हमसे ,
आज उनके सामने भी खड़े हैं हम, सर झुकाए तेरे लिए ,
डरे है अब दिल कहीं इनकार न कर दे हमारी मुहब्बत को ,
अब तो बड़ी मुश्किल से हमने वालिदेन मनाए है तेरे लिए
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डरे है अब दिल कहीं इनकार न कर दे हमारी मुहब्बत को ,
ReplyDeleteअब तो बड़ी मुश्किल से हमने वालिदेन मनाए है तेरे लिए
बहुत खूब
ब्लाग जगत में आपका स्वागत है, पहली ही रचना लाजवाब
धन्यावाद दिलबाग विर्क जी .....
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
ReplyDeleteकृपया पधारें
चर्चा मंच-722:चर्चाकार-दिलबाग विर्क