छा गई है अब ख़ामोशी -सी हमारी महफिलों में |
शायद पड़ गई है दरार दोस्तों के दिलों में ||
शायद पड़ गई है दरार दोस्तों के दिलों में ||
लोग तो डूबा करते हैं अक्सर सागर के बीच ,
मगर हम तो डूब गए हैं सागर के साहिलों में |
मगर हम तो डूब गए हैं सागर के साहिलों में |
किस से शिकवा करें कि वो काम न आये बुरे वक्त में ,
छोड़ गया साथ खुदा भी हमारा मुश्किलों में |
छोड़ गया साथ खुदा भी हमारा मुश्किलों में |
दोस्त तो बहुत से है हमारे भी इस जहां में मगर ,
फिर भी तन्हा से रहते हैं दोस्तों के काफिलों में |
फिर भी तन्हा से रहते हैं दोस्तों के काफिलों में |
कोई गिला नहीं कि अदावत है जमाने को हमसे ,
जब अपने ही हुए है हमारे कातिलों में |
जब अपने ही हुए है हमारे कातिलों में |
आवारा हो गए हैं हम भी इस आशिकी में पड़ कर ,
वरना "नज़ील" हम भी गिने जाते थे काबिलों में ||
वरना "नज़ील" हम भी गिने जाते थे काबिलों में ||