Tuesday, February 21, 2012

करके दिन रात बन्दगी खुदा से

करके दिन रात बन्दगी खुदा से ||
मांगी  अपनी ज़िन्दगी खुदा से ||
 

डर कैसा है मौत का अब हमें ,
जब है अपनी दोस्ती खुदा से ||
 

इस उम्मीद पर जिन्दा रहे हम
कि वस्ल होगा लाज़मी खुदा से ||
 

छोड़ खुदा को पूजें आदमी को ,
अब ऊंचा हुआ आदमी खुदा से ||
 

बख्श दी है हस के "नजील" हमको,
मांगी थी जो सादगी खुदा से

Wednesday, February 15, 2012

जब हो गए हैं तेरे राजदां हम

मालूम न हुआ कब हुए जवां हम ||
पार कर गए बचपन की आस्तां हम ||


तब भी वालिदा को लगे तिफ्ल ही  ,
करके तरक्की छू लें आसमां हम ||
 

अब ना है कुछ छिपाने की जरूरत ,
जब हो गए हैं तेरे राजदां हम ||
 

उनसे दूर है तो क्या हुआ फिर ,
उनको आज भी भूले हैं
कहाँ हम ||
 

गुजरें है "नजील" उनकी गली से ,
अक्सर देकर इश्क का इम्तिहां हम ||

Tuesday, February 7, 2012

डूबा यादों का सफीना

डूबा यादों का सफीना माजी के बहर में ||
न मिला उसको ढूंढना चाहा हर इक लहर में ||
 

बोला न कोई मुहब्बत से ,हम से दोस्तों ,
हम अजनबी हुए हैं अपने ही शहर में ||
 

गर दे हैं वो ज़हर भी हमको अपने हाथ से ,
लगती है अज़ब  मिठास हमको उनके ज़हर में ||
 

खण्डहर हुए अरमान मेरे साथ वक्त के तो क्या ,
है इक रशिमे-नूर अरमानों के खण्डहर में ||
 

वो पूछें हैं हाल ,मगर बताएं कैसे उसे ,
कैसे महफूज़ रह सकते हैं ऐसे कहर में ||
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