आये है मोड़ ऐसा हर जिन्दगानी में ||
किसको कह दे बुरा और किसे कहें अच्छा ,
कोई किरदार ना है अपनी कहानी में |
हम कैसे कामयाब होते अपने मकसद में,
सबसे कमजोर जो थे हम दिल-सितानी में |
आसान किस तरह कहें सफरे-मुहब्बत को,
आयें लाखों मुशिकलें इस की रवानी में |जो दी थी उसने कभी उल्फत की निशानी में