अल्लाह जो लिखे किस्मत की किताब में |
कोई कमी न रहे कभी उस हिसाब में ||
माना कि बहुत दिलकश अदा है जनाब में |
मालूम है उसे हम भी हैं शबाब में
ख़त है लिखा उसे इजहारे-इश्क में पर ,
मै जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में||
उनसे जुदा हुआ , जिंदगी ही बिखर गई ,
बस ढूंढता रहा उनको मै शराब में ||
पाया क्या ,क्या खोया है इश्क में.
उलझा रहूँ इसी अनसुलझे हिसाब में |
उसने दिया कभी नजराना -ए- उंस मुझे,
है आज भी महक उस सूखे गुलाब में ||
वादा करो अगर मुझसे तो "नजील"मैं,
सोया रहूँ उम्र भर तेरे ख्वाब में
कोई कमी न रहे कभी उस हिसाब में ||
माना कि बहुत दिलकश अदा है जनाब में |
मालूम है उसे हम भी हैं शबाब में
ख़त है लिखा उसे इजहारे-इश्क में पर ,
मै जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में||
उनसे जुदा हुआ , जिंदगी ही बिखर गई ,
बस ढूंढता रहा उनको मै शराब में ||
पाया क्या ,क्या खोया है इश्क में.
उलझा रहूँ इसी अनसुलझे हिसाब में |
उसने दिया कभी नजराना -ए- उंस मुझे,
है आज भी महक उस सूखे गुलाब में ||
वादा करो अगर मुझसे तो "नजील"मैं,
सोया रहूँ उम्र भर तेरे ख्वाब में
आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 16-4-2015 को चर्चा मंच पर चर्चा - 1948 में दिया जाएगा
ReplyDeleteधन्यवाद
Bahut bahut dhnayaavaad dilbag virk ji .
Deleteबहुत खूब अंदाजे बयां ...
ReplyDeletehardik aabhar aadrniyaa kavita rawat ji aapko mera andaaze- byaan pasand aaya .
Deleteसुन्दर प्रस्तुति .बहुत खूब,.आपका ब्लॉग देखा मैने कुछ अपने विचारो से हमें भी अवगत करवाते रहिये.
ReplyDeletehausla dene ke liya shukriya madan saxena ji .....
Deleteसुन्दर प्रस्तुति :))
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